Friday, 15 May 2020

GIC इन्टर कॉलेज रिखणीखाल।


रिखणीखाल भारत के उत्तराखंड राज्य में पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित एक ब्लॉक है।

उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित, यह पौड़ी गढ़वाल जिले के 15 ब्लॉकों में से एक है। प्रशासन के रजिस्टर के अनुसार, रिखणीखाल का ब्लॉक कोड 47 है। ब्लॉक में 190 गांव हैं।
इस ब्लॉक में कुल 6978 परिवार हैं।


मैं रिखणीखाल इंटर कॉलेज का छात्र रहा हूं। मैंने वर्ष 2000 में कक्षा 6 में दाखिला लिया और वर्ष 2006 में कक्षा 12 उत्तीर्ण की। हालांकि मैं अपनी कक्षा में प्रथम तो नहीं आता था, पर मैं दूसरे स्थान तक आ ही जाता था।

हमारे स्कूल के सभी शिक्षक बहुत अच्छे थे, उन सभी ने आदर्श शिक्षक का कर्तव्य निभाया। समय का सही इस्तेमाल किया और बच्चों को समय के महत्व के बारे में बताया। समय के अनुसार योजनाबद्ध तरीके से विषय की पूरी जानकारी देते थे। ताकि बच्चे अच्छे से सीख सकें।

शिक्षक को समाज की रीढ़ की हड्डी  कहा जाता है क्योंकि वे हमारे चरित्र  के निर्माण, भविष्य को आकार देने में और देश का आदर्श  नागरिक  बनाने में  हमारी मदद करते है।

हमारे समय में अध्यापक छात्रों को उदण्डता के लिए दण्ड दिया करते थे  क्यूंकि उस  समय मे शिक्षक एक ईश्वर की तरह वास्तविक रूप से पूज्यनीय होते थे।अभिभावक अध्यापकों पर बच्चो  से ज्यादा भरोसा  करते थे।  आज अभिभावक शिक्षक पर अपने बच्चों से ज्यादा भरोसा नहीं करता पहले शिक्षक की बात पर विश्वास किया जाता था। पहले माता पिता अपने से ज्यादा शिक्षक को बच्चों का शुभचिंतक मानते थे।

मुझे आज भी याद है, मैं जब कक्षा 10 में पढता था। दरअसल हमारा गांव स्कूल से काफी दूर था (पहाड़ी मार्ग से लगभग 5 से 6 किलोमीटर) दूर था हम  रोज पैदल चलकर स्कूल पहुँचते थे ।  कक्षा 10 तक तो  हम रोज पैदल चलकर समय पर स्कूल  पहुँचते थे।  लेकिन बड़ी कक्षा में जाने के बाद थोड़ा आलसी हो गए थे और पैदल चलने से बचने के लिए बस का इंतजार करते थे (बस का समय  08:30 मेरे गांव कंडिया) पहुँचने का था पर बस हमेशा समय  पर नहीं आती थी कई बार तो 09:30 - 10:00 AM तक पहुँचती थी और हम तब तक इंतजार करते थे और फिर अक्सर देरी से स्कूल पहुँचते थे। जिस कारण हम प्रार्थना में नहीं पहुँच पाते थे।

लेकिन कब तक बचते जब ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन गुरुजनो को इसका पता चला और  हमारे अध्यापको ने हमें सबक सिखाने के लिए पनिशमेंट दी, जो आज भी याद आती है।  उन्होंने पहले तो छड़ी से हमारी खूब धुलाई की और फिर मुर्गा बनाकर फील्ड का चक्कर मरवाया। हालाँकि आज के  समय में ऐसा मुमकिन  नहीं है।

बच्चों में जीवन जीने के सलीके में बहुत बदलाव आ गया है। आज का नागरिक अपना जीवन अपने अंदाज में व्यतीत करना चाहता है। इसमें किसी का हस्तक्षेप करना उसे बिल्कुल पसंद नहीं है।


खेल प्रतियोगिताएं 

समय-समय पर यहां खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थी । रिखणीखाल स्कूल की एक विशेषता यह थी कि यहाँ का खेल मैदान बाकी स्कूलों की तुलना में बहुत बड़ा था, जिसके कारण हमारे स्कूल में खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होता था और सभी स्कूल (ब्लॉक) खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे। बिजेता टीम को अध्यापको द्वारा पुरुष्कार देकर सम्मानित भी किया जाता था। और फिर राज्य स्तर के लिए पौड़ी भेजा जाता था । वैसे  तो  कई प्रकार की खेल प्रतियोगिताएं होती रहती थी पर इनमे सबसे लोकप्रिय था बॉलीबॉल और कब्बडी.

उस समय स्कूल में छात्रों की संख्या बहुत अधिक थी, लगभग  800 से 1000 छात्र रहे होंगे  और  प्रत्येक कक्षा में लगभग 30 से ४० छात्र हुआ करते थे ।






हमारे समय में यह एक इंटर कॉलेज था, लेकिन आज यह डिग्री कॉलेज है।


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2 comments:

  1. बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी

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  2. बहुत सुन्दर तरीके से आपणे अपने गओं को अपने स्कूल की यादों को दर्शाया है ।
    भविस्य मे Rikhdikhal जाने की इच्छा भी होगी।

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