Wednesday, 13 May 2020

राजा हरुहीत (Raja Haruhit)


हिमालय का सौन्दर्य जितना आकर्षक है उतनी ही सुन्दर कहानियाँ यहाँ की लोक कथाओं और गीतों में दिखाई देती है। उत्तराखंड के विभिन हिस्सों की कहानियाँ हमेशा लोकगाथाओं के रूप में जन जन तक पहुँची हैं। ऐसी ही एक लोककथा राजा हरुहीत की है।


राजा हरुहीत की कहानी लगभग 200 वर्ष पुरानी है। उत्तराखंड के लोग उन्हें भगवान के रूप में पूजते हैं। आज भी लोग उनके मंदिर में दुआ मांगते हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जगह जगह इनके मंदिर दिखाई देते हैं। राजा हरुहीत कूमाऊँ की संस्कृति और आस्था के प्रतीक हैं। न्याय के लिए गुहार करने वाले लोगों का विश्वास है कि राजा हरुहीत सही न्याय करते हैं और लोग राजा जी के दर्शन के लिये दूर-दूर से आते हैं।
हरुहीत सम्राट समर सिंह के आठवे संतान थे। राजा समर और उनके सात पुत्रों के मृत्यु के समय हरुहीत अपनी माँ की कोख में थे। राजा समर के मृत्यु उपरान्त राजा को मिलने वाली रकम बंद हो गई थी और राजकोष भी पूरी तरह खाली हो चुका था। उस समय हरूहीत की माँ और सात भाभियाँ बड़े ही दुखदायी दिन काट रहे थे। एक दिन खेल-खेल में राजा हरूहीत को अपने बीते हुये समय के बारे में पता चला तो वह माँ के आगे जिद कर के बैठ जाते हैं कि उन्हें उनके बीते समय का इतिहास बतायें। माँ ने राजा हरूहीत को उनके सातो भाईयों के और अपने राजकाज के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। जिसके बाद हरूहीत ने सभी लोगों को आदेश दिया कि वो उनके वचनों का पालन करे और चौदह साल की रकम एक साथ वसूल कर जमा कर जायें। हरूहीत की पुकार सुन पूरे इलाके में खलबली मच गई और एक दिन में ही सब कुछ चौदह वर्ष पहले की भांति कामकाज चलने लगा। वीर बालक हरूहीत के कार्यप्रणाली से दुश्मनों ने उनकी भाभियों को भड़का दिया और वह घर छोड़कर दो भाई भैसियों के घर चले गई। बाद में हरूहीत उन्हें ढूँढ़ते वहां पहुँच जाते हैं और रानीखेत युद्ध में एक बार हारकर मृत्यु शरीर में फिर से जीवन लौटने के बाद दोनों भाईयों को बुरी मौत देते हैं।

बाद में सातों भाभियों की शर्त पर हरुहीत भोट देश के यात्रा पर जाते हैं। इस देश के लोग जादू टोने से मनुष्य को जो चाहे बना सकते थे और उस जमाने में जो भी भोट देश के यात्रा पर जाता था वह वापस नहीं लौटता था।

भोट यात्रा के दौरान उन्हें जगह-जगह पर स्थानीय राजाओं या समस्याओं से लड़ना पड़ा। हरूहीत लुतलेख के रास्ते भोट के साथ ही बागनाथ के मन्दिर में पूजा-अर्चना करते हैं। गंगला संग सात बहनों के भोट के जादुई मन्त्रों के शिकार हुये हरूहीत को मालू पुन: जीवित करती है। मालू अपने पिता और हरूहीत में एक का चयन चंद पलों में कर हरूहीत का आजीवन साथ देने की कसम लेती है। आगे भोट पर विजय प्राप्त कर मालू से विवाह के साथ भोट से राजा हरूहीत सल्ट को वापस आ जाते हैं। सल्ट लौटकर सातों भाभियों ने कुछ दिन के अन्तराल में ही रानी मालू शाही को रामगंगा के गहरे पानी में डूबो दिया। मालू शाही की मौत से राजा पूरी तरह जीवन के सार से खिन्न हो जाते हैं और सातो भाभियों को दण्ड देते हुए हिन्दू रिवाज के साथ अग्नि को समर्पित कर देते हैं। आगे माँ से आग्रह करते है कि वह अपने सांस को रोक कर प्रभू के चरणों में अपने प्राण रख दे। माँ के मृत्यु के साथ माँ की अन्तेष्टि करने के बाद राजा हरूहीत दो चिता लगाकर मालू संग खुद और अपने हमदर्द घोड़े को भी अग्नि को समर्पित कर देते हैं।




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English Translation:


Raja Haruhit

The beauty of the Himalayas is as attractive as the beautiful stories that appear in folk tales and songs here. The stories of various parts of Uttarakhand have always reached the masses in the form of folklore. One such folklore is that of King Haruhit.

The story of Raja Haruhit is about 200 years old. The people of Uttarakhand worship him as God. Even today people pray for him in his temple. Their temples are seen everywhere in the hill areas of Uttarakhand. Raja Haruhit is a symbol of the culture and faith of Kumaon. People pleading for justice believe that King Haruhit does right justice and people come from far and wide to see Rajaji.
Haruhit was the eighth child of Emperor Samar Singh. At the time of King Samar and his seven sons, Haruhit was in the womb of his mother. After the death of King Samar, the amount received by the king was closed and the treasury was also completely empty. At that time Haruhit's mother and seven sisters-in-law were spending a very sad day. One day while playing sports, when King Haruhit came to know about his past, he insisted in front of his mother to tell him the history of his past. Mother told King Haruhit about his seven brothers and his kingdom in detail. After which Haruhit ordered all the people to follow his words and collect the amount of fourteen years at once. Hearing Haruhit's call, the whole area was disturbed and in a day everything started functioning like fourteen years ago. Due to the functioning of the brave child Haruhit, the enemies provoked her sisters and she left the house and went to the house of two brothers-in-law. Later Haruhit reaches there to find them and Ranikhet gives the two brothers a bad death after losing their life once again in the battle and returning to life again.

Later on the condition of seven sisters-in-law, Haruhit Bhot goes on a trip to the country. People of this country could make man whatever they wanted by witchcraft, and in that era, any Bhota who went on a trip to the country did not return.

During the Bhot Yatra, he had to fight local kings or problems from place to place. Haruhit worships in the temple of Bagnath along with Bhot through the path of Lutlekh. Malu resurrects Haruhit, who is the victim of magical spells of seven sisters with Ganga. Malu vows to support Haruhit for a lifetime by choosing one of his father and Haruhit in a few moments. After conquering Bhot, King Haruhit returns to Salt with his marriage to Malu. Returning to the Salt, the seven Bhabhis submerged Rani Malu Shahi in the deep waters of the Ramganga within a few days. With the death of Malu Shahi, the king is completely disenchanted with the essence of life and, while punishing the seven sisters, dedicates it to Agni with Hindu custom. Further, urging the mother to stop her breath and lay her life at the feet of Lord. After the mother's death, Raja Haruhit dedicates himself and his fellow horse with fire to Malu by placing two pyre.




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