Sunday, 10 May 2020

पहाड़ों से पलायन। Part -1


प्रकर्ति की गोद में समाया मेरा प्यारा गाँव।


देवभूमि के आँचल में जन्म लेने का सुकून भी अलग ही आनंदमयी होता है l


खुद में नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य समेटे पहाड़ पलायन के दंश से घायल हैं। मूलभूत सुविधाओं की कमी, पानी की समस्या, रोजगार के अभाव के चलते लोग लगातार पलायन कर रहे हैं और गांव वीरान होते जा रहे हैं।

पलायन उत्तराखंड की विकराल समस्या बन गई हैं। मगर उत्तराखंड के पहाड़ों से लोगों के पलायन होने के जितने कारण हैं।उससे कहीं ज्यादा संभावनाएं पलायन को रोकने की भी हैं।सबसे पहले तो जिन गांव से पलायन हो रहा है उन गांव को फिर से सुविधायुक्त बनाने की जरूरत है।

अगर सभी गांवों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाए जैसे सभी गांवों को पक्के सड़क मार्ग से जोड़ा जाए तथा बिजली व पानी जैसी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति हो।हर गांव में कम से कम एक प्राथमिक चिकित्सालय हो, जिसमें तत्कालिक और आवश्यक सेवा प्रदान करने हेतु एक डॉक्टर मौजूद हो तथा दवाइयों की उचित व्यवस्था हो।

Migration का पहला व मजबूत कारण बच्चों के लिए अच्छे स्कूलों का न होना। दुर्गम इलाकों में जहां छोटे-छोटे बच्चे कई किलोमीटर चलकर स्कूल पहुंचते हैं। उन गांवों के छोटे बच्चों के लिए गांव में ही स्कूल खोले जाएं। तथा स्कूल भवन सुरक्षित हो, शौचालय, मिड डे मील अच्छी क्वालिटी का कंप्यूटर, आधुनिक उपकरणों की जानकारी, अनुशासन तरीके से पढ़ाई व कर्मठ और परिश्रमी गुरुजनों की तैनाती, बच्चों के बैठने की, खाने-पीने की, किताबों की व्यवस्था हो।

बच्चों को आधुनिक टेक्नोलॉजी से भी वाकिफ कराया जाए।व हर स्कूल में उच्च कोटि की सुविधाएं मौजूद हो।तो इससे पहाड़ों में खाली या बंद होते स्कूलों में पुनः रौनक लौट सकती है। क्योंकि अगर बच्चों को सारी सुविधाएं गांवों में ही मिलने लगेगी।तो फिर माता-पिता गांव छोड़कर बच्चों की पढ़ाई के लिए शहर क्यों जाएंगे।

कुछ फसलें जैसे पहाड़ी उड़द ,गहत ,काला भट्ट ,मसूर ,सोयाबीन ,रेंस ,जौ, बाजरा,मडुआ,कोंंदा, झंगोरा बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होती हैं।लाजवाब चटनी बनाने हेतु भांग और मंगीरा ।अगर इन फसलों को एक अच्छा बाजार उपलब्ध कराया जाए। तथा इसकी खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाए।तथा साथ ही साथ उनको आधुनिक व वैज्ञानिक तरीके से खेती करना सिखाया जाए ,उन्नत बीज प्रदान की जाए और फसलों की लागत मूल्य अच्छी दी जाए तो फिर किसान खेती करने से क्यों दूर भागेगा।

पहाड़ में होने वाले कुछ फल जैसे बड़ा नींबू (चूख), माल्टा, संतरा, दाड़िम (अनार जैसा फल )आड़ू, खुबानी, पूलम,पहाड़ी सेव ,पहाड़ी नाशपाती को संरक्षित करने के लिए सरकार के पास या लोगों के पास कोई सुविधा नहीं है। यानी फलों के भंडारण के लिए या फलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए लोगों के पास और सरकार के पास कोई भी व्यवस्था नहीं है।

पहाड़ी क्षेत्र विशाल जड़ी बूटियों का भंडार है ।अनेक दुर्लभ जड़ी बूटियां जो अनेक असाध्य रोगों को ठीक करने के काम आती हैं वो पहाड़ों में आसानी से मिल जाती हैं ब्रह्मा कमल के फूल, भोजपत्र छाल, शिलाजीत जैसा रसायन, यारसागंबू (कीड़ाजड़ी), गंदरायण, जम्बू ,शेकवा, दून आदि अनेक जड़ी बूटियां पहाड़ों के दूरस्थ व दुर्गम इलाकों में मिलती हैं।जिनकी बाजार में बहुत ज्यादा मांग है और कीमत भी बहुत अच्छी।

अगर खेती के साथ-साथ इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का भी सही तरीके से उत्पादन व दोहन किया जाए। तथा स्थानीय व्यापारियों और आयुर्वेदिक कंपनियों के बीच तालमेल बिठाया जाए ।तो इससे पहाड़ के लोगों को अत्यधिक फायदा तो होगा ही होगा।साथ में सरकार को भी राजस्व प्राप्त होगा।सबसे बड़ी बात नौजवानों को घर बैठे रोजगार मिलेगा।तो Migration की समस्या थोड़ी कम हो जाएगी।






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English Translation :

My beloved village, falls in the lap of Prakriti.


It is also very enjoyable to take a place in the land of Devbhoomi.


The mountain, which boasts of natural beauty in itself, is injured by the bites of migration. Due to lack of basic facilities, water problem, lack of employment, people are constantly migrating and villages are becoming deserted.

Migration has become a huge problem in Uttarakhand. But there are many reasons for the migration of people from the mountains of Uttarakhand. There are more possibilities to stop the migration. First of all there is a need to make the villages which are migrating again convenient.

If all the villages are provided with basic facilities like connecting all the villages with a paved road and the basic needs like electricity and water are met. Every village should have at least one primary hospital with one to provide immediate and necessary services. A doctor should be present and proper arrangements for medicines.

The first and strong reason for migration is lack of good schools for children. In remote areas where small children walk several kilometers to reach the school. Schools for small children of those villages should be opened in the village itself. And the school building should be safe, toilets, mid day meal computers of good quality, knowledge of modern equipment, discipline should be studied and the deployment of hard working and hard working gurus, children's seating, food and drink, books should be arranged.

Children should also be made aware of modern technology and every school has high quality facilities, so it can bring back awe in the empty or closed schools in the mountains. Because if the children will start getting all the facilities in the villages only, then why would the parents leave the village and go to the city for the education of the children.

Some crops such as Pahari Urad, Ghat, Kala Bhatt, Masoor, Soyabean, Ranse, Barley, Bajra, Madua, Konda, Jhangora are very nutritious and tasty. Cannabis and Mangira to make the chutney. If these crops have a good market available Be made. And farmers who cultivate it should be encouraged and at the same time they should be taught to cultivate in a modern and scientific manner, provide improved seeds and give good cost price to the crops, then why would the farmer run away from farming.

There is no facility for the government or the people to preserve some fruits occurring in the mountain like big lemon (chukh), Malta, orange, Dadim (fruit like pomegranate), peach, apricot, poolam, Pahari Sev, Pahari pear . That is, the people and the government do not have any system for storing fruits or keeping fruits safe for a long time.

The mountainous region is a repository of huge herbs. Many rare herbs which are used to cure many incurable diseases are easily found in the mountains. Brahma lotus flowers, Bhojpatra bark, Shilajit-like chemicals, Yarsagambu (wormwood), Gandarayan , Jambu, Shekwa, Doon, etc. Many herbs are found in the remote and inaccessible areas of the mountains, which are in great demand in the market and the price is also very good. Shri.

If along with farming, these ayurvedic herbs should also be produced and exploited properly. And to create a synergy between local traders and Ayurvedic companies. This will not only help the people of the mountain but also the government will get revenue. The biggest thing is that the youth will get employment at home. So the problem of migration will be a little less. It will be done.

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